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मंगलवार, 9 अक्तूबर 2007

तेरा घर और मेरा जंगल - परवीन शाकिर

और आज बात करते हैं, पाकिस्तान की शायद सबसे मशहूर शायरा परवीन शाकिर की. परवीन की शायरी का केन्द्रीय विषय नारी ही रही है पर यह उनकी शायरी की सीमा-रेखा नहीं है. नारी सरोकारों से इतर भी उन्होंने बहुत कुछ लिखा है.



तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ-साथ
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ-साथ

बचपने का साथ, फिर एक से दोनों के दुख
रात का और मेरा आँचल भीगता है साथ-साथ

वो अज़ब दुनिया कि सब खंज़र-ब-कफ़ फिरते हैं और
काँच के प्यालों में संदल भीगता है साथ-साथ

बारिशे-संगे-मलामत में भी वो हमराह है
मैं भी भीगूँ, खुद भी पागल भीगता है साथ-साथ

लड़कियों के दुख अज़ब होते हैं, सुख उससे अज़ीब
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ-साथ

बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान
ज़िस्म और इकलौता कंबल भीगता है साथ-साथ

सम्बन्धित कड़ियाँ: hindi, literature, hindi-poetry, hindi-literature, kavita, nazm, हिन्दी, हिन्दी-काव्य, साहित्य, हिन्दी-साहित्य, कविता, नज़्म,

4 टिप्पणियाँ:

  1. वो अज़ब दुनिया कि सब खंज़र-ब-कफ़ फिरते हैं और
    काँच के प्यालों में संदल भीगता है साथ-साथ
    तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ-साथ
    ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ-साथ

    बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान
    ज़िस्म और इकलौता कंबल भीगता है साथ-साथ

    सीधे साधे अलफ़ाज मगर माईने बहुत गहरे
    दर्द और जिन्दगी आपने निभाये साथ साथ

    जवाब देंहटाएं
  2. परवीन शाकिर के बारे में आपने बताया - उससे मेमोरी में एक फोल्डर खुल गया है। आगे उसमें और जानकारी आती रहेगी। इस तरह की पोस्ट का यह लाभ है।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. परवीन शाकिर की ये अलहदा सी ग़ज़ल पेश करने का शुक्रिया। कम ही सही पर उन्होंने नारि सराकारों से परे भी कहा है और ५स ग़ज,ल में क्या खूब कहा है। उनकी शायरी से मैं भी काफी प्रभावित हुआ था। कुछ दिन पहले उनकी प्रतिनिधि रचनाओं को दो पोस्टों में संकलित करने की एक कोशिश की थी । यहाँ देखें..शायद आपको पसंद आए

    http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/07/blog-post_13.html

    जवाब देंहटाएं

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